दिल दा मामला बहुत नाजुक होता है । दिल से दिल की बात कहने को जुबां की आवश्यकता नहीं है । ये दिल ही है । जिसने कितने लैला मजनूं हीर रांझे शीरी फ़रहाद को अमर कर दिया । ऐसा कौन है । जो दिल के हाथों मजबूर न हो गया हो ? निश्चित ही कोई नहीं ।
Thursday, January 27, 2011
नमस्कार आप सबको
बहुत दिन से मैं भी ब्लाग बनाने की सोच रहा था । आज बना ही डाला । ब्लाग ही वह माध्यम है । जहाँ दिल से दिल की बात सरलता से हो सकती है । आखिर कितने दिन आपसे दूर रह सकता हूँ । जब इंटरनेट पर बहुत से दोस्त भी मौजूद हों ।
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ....इस नयी और मन भावन पोस्ट के साथ ..आशा है आप अनवरत रूप से लिखते रहेंगे ..और अपने दिल कि बात हम तक पहुंचाते रहेंगे ..शुभकामनायें
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ....इस नयी और मन भावन पोस्ट के साथ ..आशा है आप अनवरत रूप से लिखते रहेंगे ..और अपने दिल कि बात हम तक पहुंचाते रहेंगे ..शुभकामनायें
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