Wednesday, April 20, 2011

भाई अजब बना संसार ।


भाई अजब बना संसार ।
देख देख मोहे हांसी आवे, रंग तेरे करतार ।
पहले लड़ाते हिन्दु मुस्लिम, गाय सूर आधार।
अब लड़ाई हिन्दू सिख में, जो हैं इक परिवार ।।
हिन्दु पढ़ते गीता भागवत, सिख साहिब दरबार।
सांच समझ बिन सब ही बह गए, लोभ मोह की धार ।।
समोहं सर्व भूतेषु, यही है गीता सार ।
एक नूर ते सब जग उपज्यो, सार साहिब दरबार ।।
धर्म पंथ कोई गलत नहीं है, अच्छे देत विचार।
क्यों कर बने मंदिर गुरुद्वारे, सोचो मेरे यार ।।
सांच कहूँ तो कोई न माने, झूठा जग व्यवहार ।
मन रचना सभी है यारो, माया का विस्तार ।
फकीर नमाणा मानव पंथी, कहता अर्ज़ गुज़ार।
मानवता के पंथ चलो, जो इस युग में रखवार

1 comment:

आये हो तो । कुछ तो कहते जाओ भाई ।